आत्मीय विद्यामंदिर से दिनांक 11 जुलाई, 2011 को कक्षा 5, 6 एवं 7 के लिए शैक्षिक भ्रमण का नियोजन किया गया । रात्री बच्चों के मन में इतनी उत्सुकता एवं प्रसन्नता थी कि प्रात: जल्दी उठने के लिए रैन को जल्दी निद्राधीन हो गए। दिनांक 12 जुलाई, 2011, मंगलवार को बच्चे उषाकाल 5:30 बजे से पहले उठकर तैयार होकर नाश्ते के लिए भोजनालय में उपस्थित हो गए थें । बच्चों ने सुबह हलका नाश्ता—दूध तथा बिस्कुट खाएँ ताकि प्रवास की शुरुआत स्वस्थ-प्रद हो पाएँ।
नाश्ता ग्रहण करके लगभग सुबह 6:30 सभी बच्चे प्रशासन परिसर (एडमिन बिल्डिंग) सामने संचयित हुए जहाँ पहले से ही बस की व्यवस्था की गई थी। कक्षा 5,6 एवं 7 के मिलाकर कुल 269 बच्चें एवं शिक्षक, छात्र-व्यवस्थापक (हाउस मास्टर) एवं छात्र-व्यस्थापिका (दीदी) को मिलाकर कुल 20 व्यक्ति थें। शिक्षक, छात्र-व्यवस्थापक एवं छात्र-व्यस्थापिका समेत सभी ने भगवान स्वामिनारायण एवं गुरु हरि श्री हरिप्रसाद स्वामिजी का जयगान करते हुए सुबह 6:40 मिनट पर पाठशाला के अहाता (Campus) से शैक्षिक यात्रा के लिए प्रस्थान किया गया।
सभी बसों में बच्चों के लिए बिस्कुट के पुलिन्दें (पैकेट्स) एवं शुद्ध पानी (मिनरल वॉटर) के बोतलों की व्यवस्था की गई थी । बस में सभी ने अंताक्षरी का मज़ा लिया। बस 8:15 बजे भरूच के BAPS के मंदिर पहूँची, जहाँ बच्चों ने नाश्ते में भर पेट पौंहे खाएँ।
वहाँ से लगभग सुबह 10:00 बजे बड़ौदा आईनोक्ष सिनेमा-गृह पहुँचे। वहाँ पर पहले से ही टिकट की व्यवस्था की जा चुकी थी । बच्चों को 3D में ‘कुँफू पांडा-2’ देखने में बहुत मज़ा आया । चलचित्र समाप्त होते ही वहाँ से निकल कर दो बसें माझलपुर यु. एस. पिझा में गई एवं दूसरी दो बसें फतेहसिंह म्युज़ियम में पहुँची । फिर जो बच्चें यु. एस. पिझा में गए थे, वे फतेहसिंह म्युज़ियम में पहुँचे; एवं जो बच्चे फतेहसिंह म्युज़ियम में गए थे, वे यु. एस. पिझा में गए ।
सभी बच्चों ने विविध प्रकार के पिझाओं का स्वाद लिया और म्युज़ियम से दुन्यवी ज्ञान हाँसिल करके प्रफुल्लित हु्ए । म्युज़ियम में व्हेल मछली का पिंजर सबके आकर्षण का केन्द्र रहा।
तत्पश्चात सभी बच्चें 3:15 बजे सयाजी गायकवाड़ म्युज़ियम देखने गए, जहाँ पौराणिक चिज़ें देखकर दंग रह गए। सयाजी गायकवाड़ म्युज़ीयम में ‘ममी’ आकर्षण का केन्द्र रहा, जो कईं सालों से वैसे का वैसा ही था। अंतत: सभी बच्चों ने शाम 5:15 बजे प्लेनिटोरियम की मुलाकात ली, जिसमें ब्रह्मांड दर्शन किया। सूर्य, चन्द्र तथा अन्य ग्रहों की दिशा एवं दशा का दर्शन एवं मानसिक भ्रमण किया। सभी ने शाम 6:00 सयाजी बाग से आत्मीय विद्यामंदिर की ओर प्रयाण किया । रास्ते में ‘शमा’ होटल पर रूकें तथा ‘पफ’ एवं ‘एप्पी’ ज्यूस का लुफ्त उठाया। बस में ‘कुँफू पांडा-1’ देखा। सभी ने खूब आनंद किया। रात्री को 10:00 बजे सभी आत्मीय विद्यामंदिर पहुँचकर आराम की साँस ली। सभी ने हाथ-मुँह धोकर रात्री-भोजन लिया एवं अंतिम प्रणाम करके निन्द्रा ग्रहण करने अपने-अपने निवास के लिए पृथक हुए।
आत्मीय विद्यामंदिर की बड़ौदा की शैक्षिक यात्रा अत्यधिक रसप्रद रही।
लेखक: मुकेश सर
सभी बसों में बच्चों के लिए बिस्कुट के पुलिन्दें (पैकेट्स) एवं शुद्ध पानी (मिनरल वॉटर) के बोतलों की व्यवस्था की गई थी । बस में सभी ने अंताक्षरी का मज़ा लिया। बस 8:15 बजे भरूच के BAPS के मंदिर पहूँची, जहाँ बच्चों ने नाश्ते में भर पेट पौंहे खाएँ।
वहाँ से लगभग सुबह 10:00 बजे बड़ौदा आईनोक्ष सिनेमा-गृह पहुँचे। वहाँ पर पहले से ही टिकट की व्यवस्था की जा चुकी थी । बच्चों को 3D में ‘कुँफू पांडा-2’ देखने में बहुत मज़ा आया । चलचित्र समाप्त होते ही वहाँ से निकल कर दो बसें माझलपुर यु. एस. पिझा में गई एवं दूसरी दो बसें फतेहसिंह म्युज़ियम में पहुँची । फिर जो बच्चें यु. एस. पिझा में गए थे, वे फतेहसिंह म्युज़ियम में पहुँचे; एवं जो बच्चे फतेहसिंह म्युज़ियम में गए थे, वे यु. एस. पिझा में गए ।
सभी बच्चों ने विविध प्रकार के पिझाओं का स्वाद लिया और म्युज़ियम से दुन्यवी ज्ञान हाँसिल करके प्रफुल्लित हु्ए । म्युज़ियम में व्हेल मछली का पिंजर सबके आकर्षण का केन्द्र रहा।
तत्पश्चात सभी बच्चें 3:15 बजे सयाजी गायकवाड़ म्युज़ियम देखने गए, जहाँ पौराणिक चिज़ें देखकर दंग रह गए। सयाजी गायकवाड़ म्युज़ीयम में ‘ममी’ आकर्षण का केन्द्र रहा, जो कईं सालों से वैसे का वैसा ही था। अंतत: सभी बच्चों ने शाम 5:15 बजे प्लेनिटोरियम की मुलाकात ली, जिसमें ब्रह्मांड दर्शन किया। सूर्य, चन्द्र तथा अन्य ग्रहों की दिशा एवं दशा का दर्शन एवं मानसिक भ्रमण किया। सभी ने शाम 6:00 सयाजी बाग से आत्मीय विद्यामंदिर की ओर प्रयाण किया । रास्ते में ‘शमा’ होटल पर रूकें तथा ‘पफ’ एवं ‘एप्पी’ ज्यूस का लुफ्त उठाया। बस में ‘कुँफू पांडा-1’ देखा। सभी ने खूब आनंद किया। रात्री को 10:00 बजे सभी आत्मीय विद्यामंदिर पहुँचकर आराम की साँस ली। सभी ने हाथ-मुँह धोकर रात्री-भोजन लिया एवं अंतिम प्रणाम करके निन्द्रा ग्रहण करने अपने-अपने निवास के लिए पृथक हुए।
आत्मीय विद्यामंदिर की बड़ौदा की शैक्षिक यात्रा अत्यधिक रसप्रद रही।
लेखक: मुकेश सर
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