Tuesday, November 3, 2009

A prayer of an Atmiya Teacher

आत्मीय शिक्षक की प्रार्थना

शिक्षक वह है जो चाहे तो निर्माण कर दे,
शिक्षक वह है जो चाहे तो निर्वाण भी कर दे।
तार दे हमे जीवन से अपना अमृत बूँद के,
प्रेम- सिंधु बहाकर चाहे तो प्रलय फैला दे।

जीवन में अगर कुछ करना चाहो तो शिक्षक को नत मस्तक हो,
जीवन में अगर कुछ बनना चाहो तो शिक्षक को शीष धर दो।
शिक्षक वह है जो जो निरंतर प्रेम सिंधु बहाता,
कुछ पाने की न आशा मन में बस जीवन पर्यंत देता जाता।

मेरी एक छोटी-सी अभिलाषा, हे स्वामी-मैं एक ऐसा शिक्षक बन पाऊँ,
अधिक नहीं पर कुछ एक जीवन को अपना सबकुछ अर्पण कर जाऊँ।
अपना सबकुछ अर्पण करके मैं संपूर्ण में समा जाऊँ,
संपूर्ण की प्राप्ति करके मैं मोक्ष को गले लगाऊँ।

मेरी इस छोटी-सी प्रार्थना का आप सहर्ष स्वीकार कर लो,
मुझ पर कृपासिंधु बरसाकर एक आत्मीय शिक्षक का उद्धार कर दो।
Submitted By: Niharika Khatri

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